Monday, August 15, 2011

नरसिंह बन आये अन्ना, हाथो में भ्रष्टाचार का रक्त होगा !

गर मेरी स्याही से पुत जाये कालिख, इस सत्ता की बेईमानी पे !
करदे खुदा मेरा रक्त स्याह और बना धमनियों को पिचकारी दे !!

इस संध्या की बेला पे अब फिरसे हिरन्यकश्यप वध होगा,
नरसिंह बन आये अन्ना, हाथो में भ्रष्टाचार का रक्त होगा !
देश को लिए हाथों में जो सत्ताधारी आग से खेलने आये हैं ,
भूल चुके हैं किन्तु होलिका का ही हर युग में दहन होगा !

गर बन पाऊं मैं इंधन इस लपट में, बिठा मुझे भी चिंगारी पे !
करदे खुदा मेरा रक्त स्याह और बना धमनियों को पिचकारी दे !!

फिरसे एक ब्रहमचारी सोने के महलों को राख बनाएगा,
लपटें आग की उठेगी ऐसे कि रावन धू-धू कर जल जाएगा !
अब शूर्पनखा की नाक कटेगी तलवारों से तेज़ कलमों से ,
हर भारत-वंशी लिख राष्ट्र ह्रदय पे, रामेश्वरम नया बनाएगा !

गर बने मेरा ह्रदय पुल तो लिखदे भारत इसकी चारदीवारी पे !
करदे खुदा मेरा रक्त स्याह और बना धमनियों को पिचकारी दे !!

मृदंग बजेगा फिरसे, शिव तांडव में भ्रष्ट कुचला जाएगा ,
रक्तबीज अब ना उगेंगे, जिव्हा को रक्तपान कराया जायेगा !
बरसों गरीब बन नीलकंठ खामोश हलाहल निगलता आया है ,
अब इस विष में भ्रष्ट दानव की नाड़ियो को डुबोया जाएगा !

गर विष की बूंदे पड़ जाए कम, मुझे बदल विष की प्याली में !
करदे खुदा मेरा रक्त स्याह और बना धमनियों को पिचकारी दे !!

गर मेरी स्याही से पुत जाये कालिख, इस सत्ता की बेईमानी पे !
करदे खुदा मेरा रक्त स्याह और बना धमनियों को पिचकारी दे !!

2 comments:

  1. गर मेरी स्याही से पुत जाये कालिख, इस सत्ता की बेईमानी पे !
    करदे खुदा मेरा रक्त स्याह और बना धमनियों को पिचकारी दे !!

    जोश से भरी रचना... आव्हान है इस देश के लिए सर्वस्व न्योछावर कर देने का... शुभकामनाये.....

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  2. मृदंग बजेगा फिरसे, शिव तांडव में भ्रष्ट कुचला जाएगा ........
    ये पंक्तियाँ बहुत जोश भरी हैं.
    आज देश को इसी तरह की रचनाओं की सख्त आवश्यकता है.

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